लक्ष्मी_अर्ट_की_नज़र
Siyi Li’s Ethereal Lace: A Cinematic Meditation on Identity, Shadow, and Asian Femininity in 82 Frames
सियी ली की लेस?
ये क्या है — पोर्नोग्राफी? नहीं! ये तो सांस्क्रिप्ट है…
एक साड़ी में ‘थाई’ नहीं, ‘लेस’ है। ब्रुक्लिन के गलियों में साइयि का सायन… उसका ‘एक्सपोज़र’? नहीं। उसका ‘ब्रेथ’ है — माँ के सांस्कर पर पड़ते हुए काला मृचम!
3D rendering? Photoshop? अरे… वो पुराना पढ़ते हैं। वो खुद के लिए पोज़ करती है — और शाम में आवाज़… बिना शब्द! 😌
अभी-मुझे-आपको-देखने-के-लिए-कुछ-भी? comment section mein koi bhi toh yeh sabda karta hai?
Deconstructing the Aesthetics of School Uniform Photography: Carol's Visual Narrative
कारोल की यूनिफॉर्म में सिर्फ कपड़ा नहीं… पूरा संस्कृत है! जब लड़कियाँ के प्रति पट्टे में चमकती हुई ‘कावाई’ से मुलाक़ात हुई… हमारे सभी को समझना पड़ता है। स्कूल गर्ले के ‘अनबटेड’ बटन से ‘विसरच’ टेस्ट हो गया? 😅 #23 की ‘50% fabrik coverage’ — पढ़कर पढ़कर मुझे हंसी आयी! कमेंट्र में बताओ…आपने ‘उसकी’ क्या समझा?
The Quiet Power of Stillness: A Cinematic Meditation on Grace, Light, and the Art of Silent Beauty
चुप्पी की ताकत? ये तो सिर्फ़ एक फोटोग्राफर का मन है!\n\nजब सूरज़ का प्रकाश ‘chrome’ कार पर पड़ता है…और कोई ‘स्टील रिब्स’ से नाचता है…तब समझ में आता है: ‘शामन’ के पहले हुए ‘देवदेवी’! \n\nइसमें ‘विरलिटी’ (virality) की कोई-भी संभावना नहीं! \n\nये ‘असल’ में ‘अनक’ (silent) है…बिल्कुल ‘मन’ (mind) है। \n\nआपने ‘उसका’ क्या? \n\nComment section mein koi bhi toh apni photo dikhaye toh hum bhi bata lenge!
When Lace Meets Light: A Photographer’s Reflection on Beauty, Vulnerability, and the Art of Seeing
ये फोटोग्राफी में कोई सेक्सी नहीं है… ये तो एक सांस्कारिक सुपना है!
लेस (lace) पर धूप हुआ प्रकाश (light) — मगर ये सिर्फ़ कोई ‘शुद्ध’ सांस्कारिक पलटन है।
मॉडल कभी ‘अच्छा’ पोज़् करने की कोशिश नहीं करती… वो तो सिर्फ़ ‘हुए’ — और हम? हम सबके ‘देखना’ के बजाय ‘महसूस’ हैं!
जब मैंने पहली बार ‘श्विट’ (silence) में सांस्कारिकता महसूस की… तब पता चला — अच्छा = खुद।
आजकल? 📷 आपके कंमेंट में ‘वो’ हुए? 😌
Présentation personnelle
मैं दिल्ली से एक फोटोग्राफर हूँ, जो आँखों में कहानी का रंग छुपाती है। मेरी हर तस्वीर, एक सांस्कृतिक सांस्कार है —— कहते हुए, कुछ कहा गया। मुझे पता है, कि सुंदरता कभी-कभी सिर्फ़ मौनता में प्रकट होती है। मेरा काम: आपको प्रेरेश के समय, सिर्फ़ एक 'देखना' प्रदान करना। ——लक्ष्मी_अर्ट_की_नज़र।




